लेजर असिस्टेड हैचिंग (Laser Assisted Hatching) क्या है?



आज के समय में बांझपन (Infertility) की समस्या तेजी से बढ़ रही है, और कई जोड़े माता-पिता बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए सहायक प्रजनन तकनीकों (Assisted Reproductive Technologies) का सहारा ले रहे हैं। इनमें से एक अत्याधुनिक तकनीक है — लेजर असिस्टेड हैचिंग (Laser Assisted Hatching या LAH)। यह तकनीक उन जोड़ों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होती है जिनके लिए इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) के दौरान सफलता दर कम होती है।

लेजर असिस्टेड हैचिंग प्रक्रिया क्यों जरूरी होती है?

लेजर असिस्टेड हैचिंग एक उन्नत प्रजनन तकनीक है जो IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) प्रक्रिया में सफलता की संभावना बढ़ाने के लिए उपयोग की जाती है। यह प्रक्रिया विशेष रूप से तब महत्वपूर्ण होती है जब भ्रूण के चारों ओर की झिल्ली, जिसे ज़ोना पेल्यूसीडा कहा जाता है, मोटी या सख्त हो, जिससे भ्रूण का गर्भाशय की दीवार से चिपकना कठिन हो जाता है।

इस प्रक्रिया की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से हो सकती है:

  1. उम्र का प्रभाव:

    • 35 वर्ष या उससे अधिक उम्र की महिलाओं में ज़ोना पेल्यूसीडा स्वाभाविक रूप से मोटी हो सकती है, जिससे भ्रूण का आरोपण (implantation) मुश्किल हो जाता है।

  2. IVF में असफलता:

    • जिन मामलों में पिछले IVF प्रयास असफल रहे हों, वहाँ भ्रूण को गर्भाशय में चिपकाने की संभावना बढ़ाने के लिए यह प्रक्रिया उपयोगी है।

  3. भ्रूण की गुणवत्ता:

    • जब भ्रूण की ग्रेडिंग औसत या कमजोर होती है, तो यह तकनीक भ्रूण को गर्भाशय में बेहतर तरीके से चिपकने में मदद करती है।

  4. ठंडे भ्रूण (Frozen Embryos):

    • फ्रीज और डीफ्रीज की प्रक्रिया के दौरान ज़ोना पेल्यूसीडा सख्त हो सकती है, जिससे हैचिंग में कठिनाई होती है। लेजर असिस्टेड हैचिंग इस बाधा को दूर करती है।

LAH प्रक्रिया कैसे काम करती है?

लेजर असिस्टेड हैचिंग एक उन्नत तकनीक है जो IVF प्रक्रिया में भ्रूण के सफल आरोपण (implantation) की संभावना बढ़ाने के लिए उपयोग की जाती है। इस प्रक्रिया को निम्न चरणों में विभाजित किया जा सकता है:

1. भ्रूण का चयन:

  • IVF प्रक्रिया के दौरान बनाए गए भ्रूणों को विशेष उपकरणों और माइक्रोस्कोप की मदद से सावधानीपूर्वक जांचा जाता है।

  • उच्च गुणवत्ता वाले भ्रूणों का चयन किया जाता है, जो गर्भाशय में चिपकने और विकसित होने की क्षमता रखते हैं।

2. लेजर का उपयोग:

  • भ्रूण को माइक्रोस्कोप के नीचे रखकर उसके चारों ओर की सुरक्षा झिल्ली (ज़ोना पेल्यूसीडा) का निरीक्षण किया जाता है।

  • लेजर बीम की मदद से ज़ोना पेल्यूसीडा पर एक छोटा और सटीक छेद या पतला हिस्सा बनाया जाता है।

  • यह छेद भ्रूण को बाहर निकलने और गर्भाशय की दीवार से जुड़ने में मदद करता है।

3. गर्भाशय में स्थानांतरण:

  • लेजर असिस्टेड हैचिंग के बाद भ्रूण को एक विशेष कैथेटर (tube) के माध्यम से गर्भाशय में सावधानीपूर्वक ट्रांसफर किया जाता है।

  • गर्भाशय में पहुंचने के बाद भ्रूण स्वाभाविक रूप से गर्भाशय की परत से जुड़कर विकसित होने लगता है।

लेजर असिस्टेड हैचिंग प्रक्रिया पूरी तरह से दर्दरहित और सुरक्षित होती है। इसमें भ्रूण को किसी भी प्रकार की क्षति नहीं होती और गर्भधारण की संभावना काफी बढ़ जाती है।

LAH की विशेषताएँ:

  • दर्दरहित प्रक्रिया: यह प्रक्रिया पूर्ण रूप से दर्दरहित है और मरीज को किसी असुविधा का अनुभव नहीं होता।

  • सटीकता और सुरक्षा: उच्च-सटीकता वाले लेजर बीम भ्रूण को बिना किसी नुकसान के झिल्ली पर कार्य करते हैं।

  • सफलता दर में वृद्धि: यह प्रक्रिया विशेष रूप से उन मामलों में प्रभावी है जहां भ्रूण का आरोपण चुनौतीपूर्ण होता है।


निष्कर्ष

Laser Assisted Hatching (लेजर असिस्टेड हैचिंग)) उन जोड़ों के लिए एक वरदान है जो बार-बार IVF असफलताओं का सामना कर रहे हैं। यह तकनीक वैज्ञानिक दृष्टिकोण और आधुनिक उपकरणों का उपयोग करके माता-पिता बनने के सपने को साकार करती है।

यदि आप या आपका कोई प्रियजन बांझपन से जूझ रहा है और IVF से सकारात्मक परिणाम नहीं मिल रहे हैं, तो लेजर असिस्टेड हैचिंग एक प्रभावी समाधान हो सकता है। सही मार्गदर्शन और विशेषज्ञ चिकित्सकों की मदद से आप इस प्रक्रिया का लाभ उठा सकते हैं और अपने जीवन में खुशियां ला सकते हैं।


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